IASbaba's Flagship Course: Integrated Learning Programme (ILP) - 2024 Read Details
नमस्कार दोस्तों,
मेरी इस साल सिविल सेवा परीक्षा में हिंदी माध्यम से 694 रैंक थी, यह मेरा पहला प्रयास था| इस परीक्षा की सही रणनीति जानने से पहले, यह जानना जरूरी है कि UPSC को किस तरह की अभिवृति(aptitude) वाले लोग चाहिए| मेरी इस परीक्षा के बारे में जो समझ बनी है, उसके आधार पर मुझे लगताहै कि अगर किसी भी अभ्यर्थी में निम्न गुण है तो, रास्ता बहुत आसानहो जाता है, जैसे-
अभ्यर्थियों को उपर्युक्तगुण विकसित करने चाहिए क्योंकि यह परीक्षा ज्ञान और मेहनत से ज्यादा व्यक्तित्व की परीक्षा है, और यही कारण है कि कई लोग प्रथम प्रयास में निकाल लेते है और कई को समय लगता है|
अबअध्ययन की रणनीति की बात करते हैं,
यहाँ मैं उत्तर लेखन,मैन्स की रणनीति और निबंध और कुछ अध्ययन स्रोतों की बात करूंगा, कुछ चीजें जो छूट गयीं हैं उनके लिए मैंने एक विडियो शेयर किया है उसमें सभी महत्त्वपूर्ण स्रोतों की जानकारी दी है, आप यह देख सकते हो https://www.youtube.com/watch?v=FuR9Nzh9S9g.
उत्तर लेखन:-
मैंने IASBABA और अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर उत्तर लेखन किया था, कोई औपचारिक टेस्ट सीरीज ज्वाइन नहीं की थी, मेरी सलाह है कि आप भी पूरी श्रृद्धा और विश्वास के साथ ILP और TLP पर उत्तर लिखिए और बाकी लोगों के उत्तर रिव्यु कीजिए,
अच्छे उत्तर की निम्न विशेषताएं होनी चाहिए-
२. आगामी मैन्स के लिए:
इस बार prelims लिखने वालों को अच्छे परिणाम के लिए शुभकामनाएं| और जो लोग चयन होने ना होने की दुविधा में हैं, उनको मेरी यह सलाह है कि पढ़ाई जारी रखें, उत्तर लेखन का नियमित अभ्यास करें, और अखबारों पर अच्छी नजर रखें, क्योंकि UPSC की अनिश्चित्तता के बारे में कोई नहीं जानता, अगर आप अपने आप को बॉर्डर-लाइनपर समझ रहे हो तो समझदारी इसी में है कि तैयारी करते रहें, क्योंकि इसी तरह की दुविधा पिछले वर्ष मेरे साथ हुई थी और मैंने 1.5 महीने का वक्त बर्बाद कर दिया, वरना रैंक बेहतर हो सकती थी|
1. निबंध का अभ्यास अभी किया जाना चाहिए क्योंकि बाद में वक्त कम होता ही चला जाता है|
2. GS-4 के उत्तर लेखन का विशेष अभ्यास किया जाना चाहिए और किसी अच्छी कोचिंग की टेस्ट सीरीज की ३ घंटे में प्रैक्टिस करें, क्योंकि इसमें समय की सबसे ज्यादा कमी पड़ती है| और अपने दोस्तों के साथ इसके उत्तरों पर अच्छी चर्चा करें यह बहुत मदद करती है|
3. बाकी के सामान्य अध्ययन के पेपर्स के लिए ऑनलाइन उत्तर लेखन या टेस्ट सीरीज से प्रैक्टिस करे,
4. अब कोर किताबें पढने का समय नहीं है, उन्हें बहुत ही कम पढ़े, बस जो आता है उसी का बेहतर प्रस्तुतिकरण पर ध्यान दें और ऑप्शनल आदि में जो कमी रह रही है उसे पूरा करें|
5. इन चार महीनों के अखबारों के सम्पादकीय सबसे महत्वपूर्ण हैं, उन पर अच्छे से चर्चा और तैयारी करें, और उनमें रटने वाले तथ्य आदि के लिए करंट अफेयर्स की मैगज़ीन आदि का सहारा लें|
6. प्रथम प्रयास वालों के लिए कि यह ही सबसे अच्छा प्रयास होता है, अपनी सम्पूर्ण ऊर्जा लगा दो|
निबंध:
निबंध में मुझे 161 अंक मिले थे, मैंने केवल ऑनलाइन निबंध लिखे और कुछ निबंध परीक्षा से पहले दोस्तों के साथ लिखे और उन पर चर्चा की| मेरी समझ के हिसाब से अच्छे निबंध की निम्न खासियतें होती हैं:
हिंदी माध्यम के मित्रों के लिए
अपने मन से यह पूर्णतः निकाल देना चाहिए की हम किसी से कम हैं या हिंदी माध्यम के साथ भेदभाव होता है, ये सब बहाने हैं| हाँ कुछ स्रोतों की हिंदी माध्यम में समस्या है उसके लिए कोशिश करके अंग्रेजी की चीजों से पढ़ें, IASBABA जैसी वेबसाइटों का अच्छा उपयोग लें, अगरयहाँ भाषा की समस्या है तो वैकल्पिक स्रोतों का सहारा लें उन्हें ढूंढें, थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी पर काम हो जायेगा|
IASBABA के लिए:
धन्यवाद,आभार, मैं कृतज्ञ हूँ, अपने इस अच्छे काम को जारी रखिये, ताकिदिल्ली को दूर समझने वाले, अपने लैपटॉप से दुनिया ढूँढने वाले लोग भी बिना मुखर्जी नगर आये, अपनी मम्मी के हाथ की रोटी खाते हुए IAS बन सकें|
Book list
GS Preparation for Prelims (Summary)
Study material / Guidance | |
Basic Books | M. Laxmikanth or DD Basu, Bipin Chandra or Spectrum history, TN board class 11th history and + new NCERTS for Ancient and medieval. 6th to 12th NCERTs for Geography. Eco. Survey for Economy. |
Current Affairs | Hindu, and IE + u can follow IASBABA summaries. |
Test Series | Join any good test series. I Solved IASBABA 60 day program also. Recommended IASbaba's ILP |
Any other | Solve as many questions as you can. And revise their solutions 2-3 times. |
GS Mains Preparation (Summary)
Paper | Study Material/Guidance | Current Issues Source | Answer Writing Practice |
GS Paper 1 | NCERTs for Geo., BIPIN CHANDRA, new NCERTs for History and ART and culture and Sociology NCERTs. | Newspaper Indian express and the Hindu | Write answers and get them evaluated from friends , fellow aspirants. Use online platforms as TLP/ILP of baba, Test series can be joined though I did not join any. |
GS Paper 2 | DD BASU , my optional was PSIR. For IR I read V.N. Khanna, and some IGNOU material also, | SC judgments, RSTV discussion are very good, and summery magazines for current affairs ( IASbaba, GS score, and vision are good ) | Same as for GS1. |
GS Paper 3 | Economic survey + some lectures of Mrunal. | Hindu and RSTV AIR, | Same. |
GS Paper 4 | I read nothing so can’t tell | Try to connect the news with case studies. | Wrote some answers online and 4 full papers and discussed with my friends.. ( 2 of GS score and two of Vision, purchased from Market.) |
Optional Subject Preparation (Summary)
Study material / Guidance | |
Basic Books | V.N, Khanna for IR, O P gauba for western political thought, for indian political thought I read IGNOU. For comparative politics, O P gauba, and for IGP B.L. Fadiya and IGNOU for other topics, class notes of piyushchaubey sir. |
Current Affairs | Hindu+ IE+RSTV |
Answer Writing | I wrote some answers and got them evaluated from piyush sir. |
Any other | Nothing, I prepared in just 2 months with the help of piyush sir. |
सभी अभ्यर्थियों को दिल की गहराइयों से अशेष शुभकामनाएं :)
SAMPLE ESSAY BY RAVI PRAKASH MEENA
आवश्यकता लोभ की जननी है और लोभ का आधिक्य नस्लें बर्बाद करता है|
ईसा से 262 सालपहले की बात है, कलिंग के युद्ध में चारों तरफ खून ही खून हो गया, इसनेकई नस्लों को बर्बाद कर दिया, और कारण था सम्राट अशोक की यह इच्छा कि उन्हेंबड़ा साम्राज्य चाहिए| लेकिन उसी दौर में उसी क्षेत्र की फिजां में एक स्वर गूँज रहा था महात्मा बुद्ध का, जो अपरिग्रह पर जोर दे रहे थे, और कह रहे थे किआवश्यकता ही दुःख का मूल है| हालांकि, सम्राटअशोक को शुरू में इनका महत्व समझ नहीं आया, लेकिन जब खून बहा तो वेइस सन्देश का अर्थ समझ गये, और बौद्ध धर्म को गले लगाया, और एक बड़े साम्राज्य की जगह सुखी साम्राज्य की स्थापना की|
मानवजाति का इतिहास इस तरह के उदाहरणों से भरा पड़ा है, जहाँ आवश्यकता से उपजे लोभ ने नस्लें बर्बाद की हो, चाहे बड़े राज्य के लिए दुर्योधन की इच्छा से उत्पन्न महाभारत का रणहो या फिर नवीनसाम्राज्योंकेबीच युद्ध का होना रहा हो, आधुनिक इतिहास मेंप्रथम विश्व युद्ध इसी की परिणति थी और इसी तरह उसके बाद हिटलर की बृहद साम्राज्य की आवश्कयता ने भीमानवता को मिट्टी में ही मिलाया है|
वर्तमान में विद्यमान आतंकवाद और उससे पीड़ित विश्व के कारण भी यहीं हैं, पश्चिमी शक्तियों द्वारा तेल पर कब्जे और अपने प्रभुत्व को बढ़ाने के क्रम में पश्चिमी एशिया में हस्तक्षेप ने संघर्ष को बढाया और फिर इसमें धार्मिक पहलू के आने और सभ्यताओं के बीच संघर्ष के सिद्धांत ने स्थिति को बदतर किया| शीत युद्ध और उससे उपजे उन्माद, परमाणुओं की होड़, और मानव के विनाश का आग के गोले तक सीमित हो जाने के मूल में भी यही है|
इससे पूर्व औद्योगिक क्रांति से उपजे पूँजीवादऔर साम्राज्यवाद के कारणों में भी लोभ ही था, और इसने अतिराष्ट्रवाद और उपनिवेशवाद को जन्म दिया जिसनेपूरीमानव जाति को संकट में डाला, विकसित देशों द्वारा कई नस्लों के आर्थिक राजनैतिक और सांस्कृतिक शोषण ने विकासशील देशोंके स्वछंद विकास को नष्ट कर दिया, और उन्हें अभीयुद्दोत्तर काल में भी बौद्धिक रूप से गुलाम बनाया जा रहा है, और इसके लिए अब नवउपनिवेशवादीरणनीतियां इस्तेमाल की जा रही है, जैसा कि घाना के राष्ट्रपति नक्रूमा ने कहा है कि “ नवउपनिवेशवाद नवसाम्राज्यवाद की अंतिम अवस्था है” इसके लिए विकसित देशों द्वाराबहुराष्ट्रीयनिगमों और और उनके द्वारा निर्धारित व्यवस्था और मानकों के माध्यम से यह सब किया जा रहा है| इसने विशव में उत्तर-दक्षिण विभाजन पैदा किया है और यह सबगंभीर भू-राजनैतिक संकटों की ओर बढ़ सकताहै|
इसी कड़ी के दूसरे छोर पर, विश्वको आज के समय में पर्यावरणीय समस्याएं आतंकित कर रही हैं और इनका कारण प्रकृति का अधिकाधिक दोहन है, विकसित देशों की भौतिकवादी व्यवस्था ने इसको चरम पर पहुंचा दिया है, कईप्रजातियाँ लुप्त हो गयी हैं और कई होने वाली हैं, आने वाले पीढ़ीअपने पूर्वजों के कृत्यों से कितने संकट में रहेंगी इसका अनुमान भी मुश्किल ही है| महात्मा गांधी ने भी कहाथा कि “ हमारी पृथ्वी के पास लोगों की आवश्यकता की पूर्ती के लिए बहुत कुछ है किन्तुस्वार्थकी पूर्ती के लिए नही है|” इसके आलावा मानवीय संसाधनों के सन्दर्भ में इसने श्रम के शोषण सेअसमान समाज तैयार किया औरइससे बहुत सारी अमानवीय समस्याएँ पैदा हुई है|
लेकिन यह दोहन केवलसंसाधनों के लिए ही सत्य नहीं है, जीवन के हर पहलू को यह प्रभवित करता है, जैसे आज की पूंजीवादी व्यवस्था में आवश्यकताएंऔर लोभ बढते जा रहे हैं, मनुष्य मशीनों में तब्दील हो रहें हैं, जैसे उनका उनके पर्यावरण से अलगाव हो रहा है, परिवार को समय नही दे पा रहे हैं साथ में पूजीवादीव्यवस्था में कार्य के विभाजन के कारण वे अपने कार्य को देखकर खुश भी नही हो पा रहे हैं क्योंकि वे बहुत बड़े प्रोजेक्ट के एक छोटे से हिस्से पर कार्य कर रहे हैं, मार्क्सिस्ट विचारधारा इसे ही कार्य से अलगाव कहती है, इस क्रम में जीवन में एकरूपता आ जाने से जीवनरसघटगए हैं, साथ ही इसतंत्र ने एक अघोषित प्रतिस्पर्धा को जन्म दिया हैं जैसे पडौसी की भौतिकवादी चीजों को देखकर दुसरे पडौसी का दुखी होना और उसकी अंधी होड़ में दौड़ पड़ना, इससे मानसिक तनाव बढ़ा है सच्चा सुख कम हुआ है,जीवन में संघर्ष बढ़ाहै वैमनस्य बढ़ा है प्रेम कम हुआ है, आपसी विश्वास कम हुआ है, ये किसी भी जीवंत मानवीय समाज के लिए अच्छी चीज नही हैं|
और, इसका मनोवैज्ञानिक पहलू यह है कि मनुष्य को पता ही नही चलता और वह आवशयकता और लोभ के प्रति अँधा होता चला जाता है, और यह जीवन के हर क्षेत्र में दिखाई देता है जैसे एक व्यापारी धन के प्रति अँधा होता है,उसी तरह कुछ लोग अपने धार्मिक, जातीय और सांप्रदायिक विचारों को लेकर चरम पर पहुँच जाते हैं और अंततः द्वेष और बर्बादी हाथ लगती है| आज के समय में इससे उपजी प्रतिस्पर्धा ने बच्चों तक को नहीं छोड़ा , छोटे छोटे बच्चे मोटे मोटे बस्ता टाँगे, अपनी माता-पिता कि इच्छाओं को ढ़ोते हैं और उनके स्कूल के अंकों को लेकर अपना बचपन बर्बाद कर लेते हैं| इस क्रम में उनके सहज विकास और रचनात्मकता की जो हानी होती है वह कई बार अपूरणीय होती है|
सामाजिक स्तर पर भी यह दिखता है कि लोभ के कारण सामजिक अपराध जन्म लेते हैं, अधिक धन कमाने की चाहत में एक पिता अपने बच्चों को समय नही दे पाता है, रिश्तों में दूरियां आ जाति हैं, सामजिक बुराई जैसे दहेज़ तलाक सब इसी के कारण हैं, यह लोभ ही होता है कि भाई भाई के बीच में वैर ला देता है, यह लोभ ही होता है जो व्यक्ति को इतना व्यस्त कर देता है कि वह ना तो बारिश में मिट्टी की खुशबू को महसूस कर सकता है और ना ही चांदनी रात की ठंडक को, और यह लोभ ही है जो फूलों को इत्र की शीशी में समेट रहा है आदि आदि|
अतः यह स्पष्ट है कि आवशयकता और लोभ मनुष्य को बहुत नुकसान पहुंचा रहे हैं इसीलिए दुनिया के धर्म दर्शनों में अल्पसंग्रह पर जोर दिया है चाहे इस्लाम में जकात का सिद्दांत हो या फिर हिन्दू धर्म का “त्यक्तेन भुंजीथा” और दान का सिद्धांत| इसी तरह बौद्ध और जैन् धर्म भी कम संग्रह पर जोर देते हैं| हमारे समाज में कहावत भी है कि “ संतोषी सदा सुखी”,और इसी क्रम में यहाँ जन्में महापुरुषजैसे महात्मा बुद्ध , महावीर जी, गांधीजी, आदिने भी इसी पर जोर दिया, हिंदी के कविदिनकर जी भी लिखते हैं कि
“शांति नहीं जब तक, हर भाग ना नर का सम हो,
ना ही किसी को बहुत अधिक हो ना ही कम हो”
इन्हींमूल्योंको सतत रखते हुए भारतीय संविधान भी समाजवादी मूल्यों कि स्थापना करता है, और राज्य के नीति निर्देशक तत्व में सामजिक आर्थिक न्याय की स्थापना करता है और एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करता है| आरक्षण और कर प्रणाली यही सुनिश्चित करने के लिए है|
अतःस्पष्ट है कि लोभ महाभारत करवाता है और त्याग प्रेम बांटता है, लोभसगे खून में दरारे डाल सकता है है जबकि प्रेमपूरी दुनिया को एक कर सकता है, लोभ हमको खुद से छीन लेता है और एक अंतहीन चक्र में धकेल देता है और जीवन को सुखहीन बना देता है, इसीलिए हम अधिक पैसे से नई नई लाइटें खरीद सकते हैं किन्तु सूरज की रौशनी नहीं, शीतलमंद समीर का सुखAC नहीं दे सकती, आजकलपैसो से नींद से ज्यादा चिंता मिल रही है, और फलतः इंसान भीड़ में होते हुए भी अकेला हो रहा है, लोभ की वजह से ही हम बड़े बड़े मकानों में भी अकेलेपन से मर जाते हैं किन्तु पहले लोग झोपड़ी में भी सुख से रहते थे, इसलिए जरूरत अधिक पानेकी नहीं, बल्किकममें अधिकखोजने की होनी चाहिए,और अंत में बाबा कबीर का यह दोहा जो इस सबके सार को कह देताकि-
“ साईंइतना दीजिये, जामे कुटुंब समाये,
मैं भी भूखा ना रहूँ, साधू ना भूखा जाए|”
MARK SHEET